ESM निगरानी सूची क्या है? | ESM Surveillance List In Hindi

ESM का अर्थ है एन्हांस्ड सर्विलांस मेजर (Enhanced Surveillance Measure)। यह एक नियामक ढांचा है जिसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा शेयर बाजार में अत्यधिक अस्थिरता और संभावित हेरफेर को नियंत्रित करने के लिए 5 जून, 2023 को पेश किया गया था। ESM निगरानी सूची उन कंपनियों की सूची है जिनके शेयरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव देखा गया है, और जिनके बारे में SEBI को संदेह है कि उनमें हेरफेर या गलत व्यापार हो सकता है।

ESM निगरानी सूची क्या है? | ESM Surveillance List In Hindi

    भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना आकर्षक लग सकता है, लेकिन यह उतार-चढ़ाव और जोखिमों से भी भरा होता है। कभी-कभी, कंपनियों के शेयरों की कीमतें अचानक बहुत ऊपर चढ़ जाती हैं, जिससे निवेशक उत्साहित हो जाते हैं और जल्दबाजी में खरीदारी कर लेते हैं। लेकिन क्या होगा अगर यह मूल्य वृद्धि वास्तविक न होकर कृत्रिम रूप से बनाई गई हो?

    यही वह जगह है जहां EMS निगरानी सूची (Enhanced Surveillance Measure) सामने आती है। यह एक सुरक्षा जाल की तरह काम करती है, जो निवेशकों को जालसाजी और हेरफेर से बचाती है। आइए, इसे और अच्छे से समझते हैं।

    EMS निगरानी सूची क्या है?

    कल्पना कीजिए कि आप एक किराना की दुकान चलाते हैं। अचानक, एक दिन दुकान पर आम की कीमत ₹100 प्रति किलो से बढ़कर ₹500 हो जाती है! आपको शायद यही लगेगा कि कोई गड़बड़ है। शेयर बाजार में भी ऐसा ही होता है। ईएसएम निगरानी सूची उन कंपनियों के शेयरों पर नजर रखती है जिनका बाजार मूल्य (कुल शेयरों की संख्या गुणा शेयर मूल्य) अपेक्षाकृत कम है और जिनके शेयरों की कीमतों में हाल ही में अचानक उछाल आया है।

    जून 2023 में SEBI और स्टॉक एक्सचेंजों ने इस प्रणाली को लागू किया। इसका मुख्य लक्ष्य छोटे निवेशकों को हेरफेर से बचाना और बाजार में अस्थिरता को कम करना है।

    उदाहरण के लिए समझते हैं:-

    मान लीजिए आपने एक छोटी सी आईटी कंपनी के बारे में सुना है जिसका नाम "Example सॉल्यूशंस लिमिटेड" है। कंपनी का काम अच्छा चल रहा है, लेकिन शेयर की कीमत हमेशा ₹50 के आसपास रहती है। अचानक, कुछ ही हफ्तों में शेयर की कीमत ₹100, फिर ₹150 और फिर ₹200 हो जाती है! यह अचानक उछाल थोड़ा संदिग्ध लगता है, है ना?

    यही वह जगह है जहां ईएसएम निगरानी सूची काम आती है। सेबी और स्टॉक एक्सचेंज इस तरह की असामान्य मूल्य वृद्धि पर नजर रखेंगे। यदि "Example सॉल्यूशंस लिमिटेड" के शेयरों की कीमत में हाल ही में बहुत अधिक वृद्धि हुई है, तो उसे ईएसएम निगरानी सूची में शामिल किया जा सकता है।


    ईएसएम निगरानी सूची में क्यों शामिल किया जाता है?

    कंपनियों के शेयरों की कीमतों में कृत्रिम रूप से हेरफेर किया जा सकता है। इसमें कुछ लोग मिलकर गलत सूचना फैलाते हैं या ट्रेडिंग गतिविधियों में हेरफेर करके शेयरों की कीमतों को बढ़ाने या घटाने की कोशिश करते हैं। इससे बाजार में अस्थिरता पैदा होती है और भोले निवेशक अत्यधिक कीमतों पर शेयर खरीदने में फंस सकते हैं।

    ESM Surveillance List ऐसी स्थितियों को रोकने में मदद करती है। यह उन कंपनियों की निगरानी करके बाजार की स्थिरता बनाए रखने में मदद करती है जिनके शेयरों की कीमतों में हाल ही में असामान्य उछाल आया है। यह निवेशकों को सतर्क रहने और हेरफेर के संभावित संकेतों को पहचानने में भी सहायता करता है।

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    ESM सूची में शामिल होने के लिए कुछ मानदंड हैं

    • यदि किसी कंपनी का मार्केट कैप 500 करोड़ रुपये से कम है और उसके शेयर की कीमत 3 महीने में 50% से अधिक, 6 महीने में 75% या 12 महीने में 100% बढ़ जाती है।
    • यदि किसी कंपनी के शेयरों में अत्यधिक मात्रा में व्यापार होता है, जो सामान्य से अधिक है।
    • यदि किसी कंपनी के शेयरों में अत्यधिक अस्थिरता देखी जाती है, जैसे कि शेयर की कीमत में अचानक और बड़ी उछाल या गिरावट।

    ईएसएम निगरानी सूची में शामिल होने का क्या मतलब है?

    मान लीजिए "Example सॉल्यूशंस लिमिटेड" को ईएसएम निगरानी सूची में शामिल कर लिया गया है। इसका मतलब यह नहीं है कि कंपनी जरूर धोखाधड़ी कर रही है। लेकिन, इस बात की जांच की जाएगी कि शेयरों की कीमतों में हालिया उछाल वास्तविक है या नहीं।

    ईएसएम निगरानी सूची में शामिल होने वाली कंपनियों के लिए कुछ सख्त नियम लागू होते हैं। आइए देखें कि ये नियम निवेशकों को कैसे सुरक्षित रखते हैं।

    ईएसएम निगरानी सूची के चरण

    ईएसएम ढांचे में दो चरण होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग तरह की निगरानी और प्रतिबंध लागू होते हैं:

    पहला चरण (Stage 1):

    उच्च मार्जिन आवश्यकता: 

    यदि आप "Example सॉल्यूशंस लिमिटेड" के शेयर खरीदना चाहते हैं, तो आपको स्टॉक की पूरी खरीद मूल्य का भुगतान करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, यदि शेयर ₹200 पर कारोबार कर रहा है, तो आपको अपने ब्रोकर के पास ₹200 जमा करना होगा। आम तौर पर, ब्रोकर आपको मार्जिन सुविधा प्रदान करते हैं, जिसका मतलब है कि आपको शेयरों की पूरी कीमत का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन ईएसएम के तहत, यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकती है। इससे शेयरों की अत्यधिक खरीद को रोका जा सकता है।

    ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट: 

    आप उसी दिन खरीदे गए शेयरों को बेचना होगा। आप उन्हें अगले दिन या बाद में नहीं रख सकते। यह अल्पकालिक सट्टेबाजी को हतोत्साहित करता है और निवेशकों को शेयरों को लंबे समय तक होल्ड करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

    प्राइस बैंड: 

    शेयर की कीमत में उतार-चढ़ाव को सीमित करने के लिए एक मूल्य सीमा लगाई जा सकती है। उदाहरण के लिए, "Example सॉल्यूशंस लिमिटेड" के शेयर केवल 5% ऊपर या नीचे जा सकते हैं। यह अचानक उछाल या गिरावट को रोकने में मदद करता है।

    कम से कम तीन महीने की निगरानी: 

    कंपनी को कम से कम तीन महीने के लिए ईएसएम के पहले चरण में रहना होगा। इस दौरान, सेबी और स्टॉक एक्सचेंज कंपनी के प्रदर्शन और शेयरों की कीमतों की निगरानी करेंगे। यदि मूल्य स्थिर हो जाते हैं और कोई हेरफेर का संकेत नहीं मिलता है, तो कंपनी को ईएसएम सूची से बाहर कर दिया जा सकता है।

    दूसरा चरण (Stage 2):

    यदि "Example सॉल्यूशंस लिमिटेड" के शेयरों की कीमत पहले चरण में 8% से अधिक ऊपर या नीचे जाती है, तो उसे दूसरे चरण में ले जाया जा सकता है। यह दर्शाता है कि अस्थिरता बनी हुई है और निगरानी जारी रखने की आवश्यकता है।

    कम सख्त प्रतिबंध: 

    दूसरे चरण में, मार्जिन आवश्यकता कम हो सकती है, और ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट को हटाया जा सकता है। हालांकि, प्राइस बैंड लागू रह कम सख्त प्रतिबंध: दूसरे चरण में, मार्जिन आवश्यकता कम हो सकती है, और ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट को हटाया जा सकता है। हालांकि, प्राइस बैंड लागू रह सकता है।

    कम से कम एक महीने की निगरानी: 

    कंपनी को कम से कम एक महीने के लिए दूसरे चरण में रहना होगा। इस दौरान, निगरानी जारी रहेगी, और यदि शेयरों की कीमतें स्थिर हो जाती हैं, तो कंपनी को ईएसएम सूची से बाहर कर दिया जा सकता है।

    निवेशक ईएसएम सूची वाली कंपनियों की जानकारी कई तरीकों से प्राप्त कर सकते हैं

    • अपनी ब्रोकरेज फर्म की वेबसाइट या मोबाइल ऐप

    ज्यादातर ब्रोकरेज फर्म अपनी वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर सीधे यह जानकारी दिखाएंगी कि कोई खास स्टॉक ईएसएम सूची में है या नहीं। यह उन विशिष्ट कंपनियों की जांच करने का सबसे आसान तरीका है जिनमें आप रुचि रखते हैं।

    • राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की वेबसाइटें

    एनएसई और बीएसई दोनों ही उन कंपनियों की सूची प्रकाशित करती हैं जो वर्तमान में ईएसएम ढांचे के अंतर्गत हैं। ये सूचियां आम तौर पर उनकी वेबसाइटों के "बाजार नियमन" या " निगरानी" सेक्शन में पाई जाती हैं।

    • आपको जल्दी याद दिलाते हैं

    1. ब्रोकरेज वेबसाइटें: विशिष्ट कंपनियों की जांच करने का आसान तरीका।
    2. एनएसई और बीएसई वेबसाइटें: पूरी ईएसएम सूची के लिए आधिकारिक स्रोत।

    अतिरिक्त सुझाव:

    ब्रोकरेज और एक्सचेंज वेबसाइटों पर ईएसएम सूची का विशिष्ट स्थान अलग-अलग हो सकता है। इसे खोजने के लिए उनके खोज फ़ंक्शन का उपयोग करें या प्रासंगिक अनुभागों को ब्राउज़ करें।

    एनएसई की वेबसाइट NSE INDIA

    बीएसई की वेबसाइट BSE INDIA 

    याद रखें, हालांकि ईएसएम सूची एक उपयोगी उपकरण है, कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपना खुद का शोध करना महत्वपूर्ण है।

    ईएसएम निगरानी सूची निवेशकों के लिए कैसे उपयोगी है?

    ईएसएम निगरानी सूची कई तरह से निवेशकों की मदद करती है:

    • हेरफेर का पता लगाना 

    सख्त निगरानी से हेरफेर के संभावित संकेतों को उजागर करने में मदद मिलती है। असामान्य रूप से उच्च मूल्य वृद्धि या ट्रेडिंग वॉल्यूम में अचानक उछाल निवेशकों को सतर्क कर सकता है और उन्हें अतिरिक्त शोध करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

    • सूचित निवेश निर्णय लेना

    ईएसएम सूची में शामिल होने से निवेशकों को यह पता चलता है कि कंपनी के शेयरों की कीमतों में हाल ही में असामान सूचित निवेश निर्णय लेना: ईएसएम सूची में शामिल होने से निवेशकों को यह पता चलता है कि कंपनी के शेयरों की कीमतों में हाल ही में असामान्य उछाल आया है। इससे निवेशक अतिरिक्त सावधानी बरत सकते हैं और कंपनी के बारे में गहन शोध कर सकते हैं, इससे पहले कि वे कोई निवेश निर्णय लें। उन्हें कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य, भविष्य की संभावनाओं और किसी भी समाचार या घटनाओं पर विचार करना चाहिए जो शेयर की कीमत को प्रभावित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि "Example सॉल्यूशंस लिमिटेड" को ईएसएम सूची में शामिल किया गया है, तो आप यह पता लगाना चाहेंगे कि क्या कंपनी ने हाल ही में कोई बड़ा अनुबंध हासिल किया है या कोई नया उत्पाद लॉन्च किया है, जिससे शेयरों की कीमतों में उछाल आया है। यदि ऐसा कोई स्पष्ट कारण नहीं है, तो आपको अधिक सतर्क रहना चाहिए।

    • अत्यधिक अस्थिरता से बचाव 

    ईएसएम ढांचे के तहत लगाए गए मार्जिन, प्राइस बैंड और ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट जैसे प्रतिबंध अत्यधिक अस्थिरता को कम करने में मदद करते हैं। इससे निवेशकों को अचानक मूल्य उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचाने में मदद मिलती है। कल्पना कीजिए कि आपने "Example सॉल्यूशंस लिमिटेड" के शेयर बिना ईएसएम के खरीदे हैं। यदि कोई हेरफेर करने वाला अचानक शेयरों की कीमतें गिरा देता है, तो आपका निवेश मूल्य भी गिर सकता है। लेकिन ईएसएम के तहत, प्राइस बैंड जैसी सुरक्षा उपाय अचानक गिरावट को सीमित कर सकते हैं।

    • बाजार की स्थिरता बनाए रखना

    ईएसएम निगरानी सूची हेरफेर को हतोत्साहित करके और अस्थिरता को कम करके बाजार की स्थिरता बनाए रखने में मदद करती है। इससे निवेशकों को अधिक भरोसेमंद और पारदर्शी बाजार वातावरण में निवेश करने का अवसर मिलता है। जब निवेशक जानते हैं कि बाजार हेरफेर से कम प्रभावित है, तो वे अधिक आत्मविश्वास के साथ निवेश करने की संभावना रखते हैं।

    ESM Surveillance List से कोई कंपनी कब बाहर आ सकती है | 

    ईएसएम सूची से बाहर निकलने के लिए, कंपनी को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा:

    • निगरानी अवधि: 

    कंपनी को आम तौर पर लगभग 3 महीने की निगरानी अवधि से गुजरना पड़ता है। इस दौरान, एक्सचेंज शेयर की कीमत में उतार-चढ़ाव की निगरानी करता है।

    • कम अस्थिरता: 

    सबसे महत्वपूर्ण कारक शेयर की कीमत में अस्थिरता का कम होना होता है। यह दर्शाता है कि चीजें सामान्य हो रही हैं और हेरफेर की आशंका कम हो गई है।

    • नियमों का पालन: 

    कंपनी को ईएसएम ढांचे के तहत लगाए गए सभी नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए, जैसे कि उच्च मार्जिन आवश्यकताएं और ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट प्रक्रियाएं।

    ध्यान दें:

    कोई सार्वजनिक रूप से उपलब्ध समय सीमा नहीं है कि कोई कंपनी कितनी जल्दी ईएसएम सूची से बाहर निकल सकती है। यह काफी हद तक कंपनी के शेयरों के प्रदर्शन और उसके द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों पर निर्भर करता है।

    यह सलाह दी जाती है कि आप अपनी ब्रोकरेज फर्म से संपर्क करें या स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइटों की जांच करें ताकि किसी विशिष्ट कंपनी के ईएसएम स्थिति और संभावित निकास तिथि के बारे में नवीनतम जानकारी प्राप्त कर सकें।

    ईएसएम निगरानी सूची की सीमाएं

    यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ईएसएम निगरानी सूची हेरफेर को पूरी तरह से रोक नहीं सकती है। निवेशकों को यह सलाह दी जाती है कि वे ईएसएम सूची को किसी कंपनी में निवेश करने या न करने का एकमात्र कारक न मानें। निवेश का अंतिम निर्णय हमेशा आपके खुद के शोध और जोखिम सहनशीलता पर आधारित होना चाहिए।

    कुछ सीमाएं भी हैं जिन पर विचार करना चाहिए

    • केवल कम पूंजीकरण वाली कंपनियां

    ईएसएम ढांचा केवल उन्हीं कंपनियों पर लागू होता है जिनका बाजार पूंजीकरण अपेक्षाकृत कम है। उच्च पूंजीकरण वाली कंपनियों में भी हेरफेर हो सकती है, और ईएसएम ढांचा इन कंपनियों को कवर नहीं करता है। इसलिए, निवेशकों को किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए, भले ही वह ईएसएम सूची में न हो।

    केवल मूल्य वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है

    ईएसएम ढांचा केवल हाल ही में शेयरों की कीमतों में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है। कुछ मामलों में, शेयरों की कीमतों में हेरफेर हेरफेर करने वाले कृत्रिम रूप से कीमतों को कम करके भी किया जा सकता है, और ईएसएम ढांचा वर्तमान में इसका पता नहीं लगा सकता है। इसलिए, निवेशकों को कंपनी के समग्र वित्तीय स्वास्थ्य और बाजार के रुझानों पर विचार करना चाहिए।

    निष्कर्ष 

    ईएसएम निगरानी सूची भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है। यह हेरफेर का पता लगाने, सूचित निवेश निर्णय लेने में मदद करता है, अत्यधिक अस्थिरता को कम करता है और बाजार की स्थिरता बनाए रखता है। हालांकि, निवेशकों को यह समझना चाहिए कि इसकी कुछ सीमाएं हैं।

    निवेशकों के लिए सुझाव

    अपना खुद का शोध करें: ईएसएम सूची पर भरोसा करने के बजाय, किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले अपना खुद का शोध करना हमेशा महत्वपूर्ण होता है। कंपनी के वित्तीय विवरणों, प्रबंधन की टीम, भविष्य की संभावनाओं और बाजार के रुझानों पर ध्यान दें।

    विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें: कंपनी के बारे में समाचार लेख, विश्लेषक रिपोर्ट और वार्षिक रिपोर्ट पढ़ें। इससे आपको कंपनी के बारे में व्यापक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

    जोखिम को समझें: शेयर बाजार में निवेश जोखिम से भरा होता है। किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं और संभावित नुकसान के लिए तैयार रहें।

    विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में निवेश करें: अपने निवेश को विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में विभाजित करें, जैसे कि स्टॉक, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड। इससे आपके पोर्टफोलियो को जोखिम से बचाने में मदद मिल सकती है।

    FAQs

    1. ईएसएम स्टेज 1 और 2 क्या है?

    ईएसएम (एन्हांस्ड सर्विलांस मेजर) स्टेज 1 और 2, भारतीय शेयर बाजार में अत्यधिक अस्थिरता और संभावित हेरफेर को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए दो निगरानी स्तर हैं।

     ESM Stage 1:

    यह निगरानी का पहला स्तर है।

    यह उन कंपनियों के लिए लागू होता है जिनके शेयरों की कीमत में हाल ही में असामान्य वृद्धि देखी गई है।

    इस स्तर में, कंपनी पर अतिरिक्त निगरानी रखी जाती है और कुछ प्रतिबंध लागू किए जाते हैं।

    मुख्य प्रतिबंध:

    उच्च मार्जिन आवश्यकताएं

    ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट

    प्राइस बैंड

     ESM Stage 2:

    यह निगरानी का दूसरा स्तर है।

    यह उन कंपनियों के लिए लागू होता है जिनके शेयरों की कीमत में ईएसएम स्टेज 1 में रहते हुए भी लगातार वृद्धि देखी गई है।

    इस स्तर में, प्रतिबंध अधिक कड़े होते हैं।

    मुख्य प्रतिबंध:

    ईएसएम स्टेज 1 के सभी प्रतिबंध

    ट्रेडिंग सप्ताह में केवल एक दिन

    केवल 10% की ऊपरी सर्किट

    2. क्या हम ESM स्टॉक को बेच सकते है ?

    हां, आप ईएसएम स्टेज 1 में शामिल कंपनियों के शेयर बेच सकते हैं, बशर्ते वे आपके डीमैट खाते में हों। हालांकि, कुछ स्थितियां हैं जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए:

    • ईएसएम स्टेज 1 के लिए कोई लॉक-इन अवधि नहीं है लेकिन यह सलाह दी जाती है कि आप उन्हें जल्दी बेच दें, खासकर अगर शेयर की कीमत में गिरावट शुरू हो जाए।

    • 5% का ऊपरी या निचला सर्किट लागू हो सकता है. इसका मतलब है कि अगर शेयर की कीमत उस दिन के लिए निर्धारित सीमा से अधिक बढ़ जाती है या घट जाती है, तो ट्रेडिंग रोक दी जा सकती है। इसलिए, यह सुनिश्चित करने का प्रयास करें कि आप उस समय बेच सकें जब ट्रेडिंग चालू हो।

    ईएसएम स्टेज 2 के लिए:

    स्थिति थोड़ी जटिल है। ईएसएम स्टेज 2 के तहत सख्त प्रतिबंध हैं, जिनमें शामिल हैं:

    • साप्ताहिक ट्रेडिंग: आप हर दिन इन शेयरों को नहीं बेच सकते हैं। ट्रेडिंग सप्ताह में केवल एक विशिष्ट दिन ही अनुमति दी जाती है।

    • सीमित मूल्य वृद्धि: आप केवल एक निश्चित सीमा तक ही शेयर बेच सकते हैं (आमतौर पर 10% की ऊपरी सर्किट)।

    इसका मतलब है कि ईएसएम स्टेज 2 में शेयर बेचना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। आपको उस विशिष्ट दिन का इंतजार करना पड़ सकता है जब ट्रेडिंग की अनुमति हो और यह संभव है कि आप अपनी इच्छानुसार मूल्य न प्राप्त कर सकें।

    3. क्या ESM स्टॉक्स को buy करना अच्छा है ?

    ईएसएम स्टॉक खरीदना आम तौर पर जोखिम भरा माना जाता है, यहाँ कुछ कारण हैं:

    • अस्थिरता:

    ईएसएम में आने वाली कंपनियों के शेयरों में अक्सर असामान्य मूल्य वृद्धि देखी गई है। यह अस्थिरता भविष्य में भी जारी रह सकती है, जिससे आपको नुकसान हो सकता है।

    • हेरफेर का जोखिम:

    ईएसएम का मतलब है कि शेयरों में संभावित हेरफेर की आशंका है। इसका मतलब यह हो सकता है कि वास्तविक कंपनी के मूल्य से अधिक मूल्य पर शेयरों का कारोबार हो रहा है।

    • कम तरलता:

    ईएसएम स्टेज 2 में विशेष रूप से, सीमित ट्रेडिंग दिनों और सर्किट के कारण इन शेयरों को बेचना मुश्किल हो सकता है।

    • कम जानकारी:

    ईएसएम में शामिल कई कंपनियां छोटी या कम जानी-मानी हो सकती हैं। उनके वित्तीय विवरण और भविष्य की संभावनाओं के बारे में कम जानकारी उपलब्ध हो सकती है। हालाँकि, कुछ स्थितियों में, ईएसएम स्टॉक उच्च जोखिम के साथ कुछ लाभ की पेशकश कर सकते हैं:

    • अनुभवी निवेशक:

    यदि आप एक अनुभवी निवेशक हैं जो अस्थिर बाजारों में काम करने में सहज हैं, तो आप सावधानीपूर्वक शोध करने के बाद ही ईएसएम स्टॉक में सीमित राशि का निवेश कर सकते हैं।

    • मजबूत कंपनी:

    यदि आप यह जानते हैं कि कंपनी के पास मजबूत बुनियादी बातें हैं और मूल्य वृद्धि का समर्थन करने के लिए वास्तविक कारण हैं, तो आप सावधानी से विचार कर सकते हैं। सामान्य तौर पर, ईएसएम स्टॉक शुरुआती निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। यदि आप शेयर बाजार में नए हैं, तो प्रतिष्ठित कंपनियों में निवेश करना बेहतर है जिनके शेयर अधिक स्थिर होते हैं। निर्णय लेने से पहले: कंपनी के बारे में गहन शोध करें। ईएसएम में शामिल होने का कारण समझें। अपने जोखिम सहनशीलता पर विचार करें। *यह वित्तीय सलाह नहीं है। किसी भी निवेश में निर्णय लेने से पहले किसी वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।

    4. ईएसएम में स्टॉक कितने समय तक रहता है?

    ईएसएम में स्टॉक कितने समय तक रहता है, यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है। यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे:

    • शेयर की कीमत में उतार-चढ़ाव: यदि स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव कम होता है और सामान्य सीमा के भीतर रहता है, तो उसे ईएसएम से बाहर निकाला जा सकता है।
    • नियमों का पालन: कंपनी को ईएसएम ढांचे के तहत सभी नियमों का पालन करना होगा।
    • समय: आमतौर पर, कंपनियों को निगरानी अवधि से गुजरना पड़ता है, जो अक्सर 3 महीने की होती है।
    • अन्य कारक: स्टॉक एक्सचेंज के पास स्टॉक को ईएसएम से बाहर निकालने का विवेक होता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है: कोई सार्वजनिक रूप से उपलब्ध समय सीमा नहीं है। यह काफी हद तक कंपनी के प्रदर्शन और उसके पालन किए जाने वाले नियमों पर निर्भर करता है। यह जानने के लिए कि कोई स्टॉक कब तक ईएसएम में रहेगा|
    यदि कोई स्टॉक ईएसएम स्टेज 1 में है, तो उसे कम से कम 90 दिनों तक वहां रहना होगा। यदि कोई स्टॉक ईएसएम स्टेज 2 में है, तो उसे कम से कम 30 दिनों तक वहां रहना होगा।

    ** किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह लें:** यदि आप निवेश के बारे में अनिश्चित हैं, तो किसी पंजीकृत वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना मददगार हो सकता है। वे आपके वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के आधार पर आपके लिए उपयुक्त निवेश रणनीति बनाने में आपकी सहायता कर सकते हैं। शेयर बाजार की जटिल दुनिया को समझने में समय और प्रयास लगता है। लेकिन ESM Surveillance List जैसी पहल निवेशकों को अधिक सुरक्षित और सूचित निवेश निर्णय लेने में मदद करती है। उम्मीद है कि इस लेख ने आपको ईएसएम निगरानी सूची की भूमिका और महत्व के बारे में बेहतर जानकारी दी है।


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